Monday, February 6, 2017

Hindi story - smadhan

क्यूँ लज्जित करती है महोदया सब आप लोगों की कृपा है नही तो हम भला किस योग्य हैं! राजनाथ जी ने विनम्रता की प्रतिमूर्ती बनते हुए हाथ जोड़ दिए थे! कैसी बातें कर रहे हैं आपने जिस काम का बीड़ा उठाया है वो क्या कोई साधारण बात है? जाने ऐसे कितने परिवार है जिनमे धन की कमी के कारण विवाह नही हो पाते! उनके लिए तो आप किसी फरिश्ते का दूसरा रूप है कामना राय ने राजनाथ जी की प्रशंसा के पुल बाँध दिए थे! अब आप से क्या छिपाना महोदया हमने तो ऐसे परिवार देखे है जो बेटी को एक साड़ी भी नही दे सके ऊपर से हम जो देते हैं उसे भी हड़पने के चक्कर मे रहते हैं! घोर कलयुग गया है पहले बेटी के घर का पानी पीना तक वर्जित था अब उसी का माल हड़पने  को तय्यार हैं, राजनाथ ने भावुक स्वर मे बताया था! ठीक कह रहे हैं आप समाज मे स्वार्थपरता इतनी बढ़  गई है की मानवीय  संबंधो की गरिमा लुप्त प्राय  होती जा रही है, कामना जी ने उन की हां मे हां मिलाई थी! हम तो यह प्रार्थना  करने आए है  की अगले सामूहिक विवाह आयोजन का उद्घाटन आप के ही करकमलों द्वारा संपन्न होना चाहिए!  
राजनाथ जी और उनके साथी गौरी बाबू ने प्रार्थना की थी!
"क्यू नही ये तो बड़े पुण्या का काम है, आपने पहले भी दो बार आमंत्रण दिया था पर मैं अपनी व्यस्ता के कारण नही सकी थी इस बार अवशय आओंगी, कोई और सहयता चाहिए हो तो संकोच मत कीजिएगा!" आपका सहयोग मिल रहा है तभी तो हम कुछ कर पा रहे है नही तो हमारी बिसात ही क्या? आशा है की भविष्य मे भी आपका सहयोग मिलता रहेगा! यह सामूहिक वैवाहिक सम्मेलन का निमंत्रण पत्र है! इस बार इसके उद्घाटन मे आपको अवशय ही आना पड़ेगा! राजनाथ ने निमंत्रण देते हुए पुनः आग्रह किया था! "मैं अपने समस्त कार्य छोड़ कर सेवा मे पहुच जाऊंगी आप तनिक भी चिंता ना करे," कामना राय ने आश्वासन दिया तो राजनाथ जी ने आभार प्रकट करते हुए विदा ली!
shadi

राजनाथ जी "वामा" नमक गैर सरकारी संगठन के सर्वेसर्वा थे, उनकी संस्था बालिकाओ और युवतियो के लिए अनेक कार्यकर्मो का आयोजन करने के साथ ही बेसहारा महिलाओ के पुनर्वास का भी प्रबंध करती थी! कामना राय समाज कल्याण विभाग मे सचिव थी और राजनाथ जी को अपनी संस्था के कार्य से वहाँ अक्सर जाना पड़ता था! कामना राय की सहयता से उनकी संस्था को कई बार बड़ी धनराशि आबंटित की गयी थी, अतः राजनाथ जी ने उन्हे अपनी संस्था के हर कार्यकर्म मे आमंत्रित करने का नियम बना लिया था, पर कामना अपनी अतिव्यस्ता के कारण किसी भी समारोह मे नही पहुच पाई थी! पर इस बार उन्होने द्रढ निश्चय कर लिया था कि वह "वामा" द्वारा आयोजित समारोह मे भाग लेने अवश्य जाएँगी!
अपने कार्यालय मे बैठ कर दिन रात फाइलो मे सिर खपाने से समाज का कल्याण नही होता! वो तो राजनाथ जी जैसे समाज सेवको के निरंतर किए जा रहे सेवा कार्यो से होता है, अतः उन्होने द्रढ निश्चय किया की वो आगामी सामूहिक विवाह कार्यकर्म मे भाग ले कर पुण्य अवश्य कमाएँगी!
नियत तिथि समय पर राजनाथ जी उन्हे स्वयं लेने पहुचे थे! शहर के बीचो-बीच स्थित बड़े से सरकारी उपवन मे बड़े-बड़े कई पंडाल लगाए गये थे तथा उन्हे बड़े सुरुचिपूर्ण ढंग से सजाया गया था! सभी जोड़े वैवाहिक वेश भूषा मे सजे हुए थे! राजनाथ जी ने ही उन्हे बताया था की युवतियो के लिए लाल ज़रीदार परिधान और युवको के लिए विशेष कुर्ते पायजामे और लाल ज़रीदार दुपट्टे का प्रबंध संस्था की ओर से किया गया था! हर जोड़े को विवाह के अवसर पर एक मंगल सूत्र भी भेट किया जाना था! अधिकतर युवतियो ने वधू के रूप मे अपने मूह पर घूँघट डाल रखा था! सभी विवाह प्रकिया के आरंभ होने की प्रतीक्षा कर रहे थे! कामना राय ने ऐसे सामूहिक आयोजन पहली बार देखा था! अतः वो प्रत्येक क्रियाकलाप को बड़ी बारीकी से देख रही थी! कुछ देर की पूजा अर्चना के बाद हर जोड़े को माइक के द्वारा हिदयते दी जा रही थी! समारोह प्रारंभ हुआ तो कामना राय अपने को रोक ना सकी, वो विवाह बंधन मे बँधते जोड़ो के पास जा कर सम्पूर्ण प्रकरण का आनंद उठाने उनके पास जा खड़ी हुई थी! तभी अचानक एक जोड़े पर उनकी नज़र ठहर सी गई थी!
युवती बिल्कुल चाँदनी जैसी लग रही है, मानो उसकी जुड़वा बहन हो, वो स्वम से ही वार्तालाप करने लगी थी, पर तभी युवती की दृष्टि उन पर पड़ी और उन्हे लगा की उसने उन्हे पहचान लिया है! "यह क्या चाँदनी? अपने पति को छोड़ आई या पति ने तुम्हे छोड़ दिया?" वो लपक कर चाँदनी के पास पहुची थी! 'दीदी' आप यहाँ? आप यहाँ क्या कर रही है? चाँदनी बदहवास सी पलटी थी! "ये क्या माजरा है तेरा पति शांतनु और तेरा बच्चा कहाँ है?" मेरी समझ मे तो कुछ नही रहा है? कामना का बदहवास स्वर सुन कर चाँदनी के साथ विवाह के फेरे ले रहा युवक तेज़ी से पलटा था पर कामना सेहरे से ढका उसका चेहरा देख नही पाई थी! कामना राय आयोजको से कुछ कह सुन पाती उससे पहले ही चाँदनी और उसका भावी पति विवाह को बीच मे ही छोड़ कर भाग खड़े हुए थे!
"क्या हुआ कामना जी?" चाँदनी को हाथों मे चप्पल थामे सरपट भागते देख राजनाथ जी हक्के-बक्के रह गये थे, वो लपक कर कामना जी के पास पहुँचे थे!
"क्या हुआ कामना जी?" उन्होने कामना राय से नीचे स्वर मे प्रशन किया था!
होना क्या है राजनाथ बाबू, यहाँ तो बड़ी गड़बड़ लगती है, जो लड़की यहाँ फेरे ले रही थी मैं उसे अच्छे से जानती हूँ! दो वर्ष पहले तक हमारे पड़ोसी के घर मे आया का काम करती थी! वो ना केवल विवाहित है बल्कि एक वर्ष के बच्चे की माँ भी है!
"क्या कह रही है आप? मुझे तो अपने कानो पर विश्वास ही नही हो रहा है, इस पुण्य के काम मे भी धोखाधड़ी?" इंसान  भरोसा करे तो किस पर? हो सकता है वो तलाक़ के बाद पुनर्विवाह कर रही हो! पर वो मुझे देख कर भागी क्यू? कामना जी हैरान थी!

क्रमशःक्यूँ लज्जित करती है महोदया सब आप लोगों की कृपा है नही तो हम भला किस योग्य हैं! राजनाथ जी ने विनम्रता की प्रतिमूर्ती बनते हुए हाथ जोड़ दिए थे! कैसी बातें कर रहे हैं आपने जिस काम का बीड़ा उठाया है वो क्या कोई साधारण बात है? जाने ऐसे कितने परिवार है जिनमे धन की कमी के कारण विवाह नही हो पाते! उनके लिए तो आप किसी फरिश्ते का दूसरा रूप है कामना राय ने राजनाथ जी की प्रशंसा के पुल बाँध दिए थे! अब आप से क्या छिपाना महोदया हमने तो ऐसे परिवार देखे है जो बेटी को एक साड़ी भी नही दे सके ऊपर से हम जो देते हैं उसे भी हड़पने के चक्कर मे रहते हैं! घोर कलयुग गया है पहले बेटी के घर का पानी पीना तक वर्जित था अब उसी का माल हड़पने  को तय्यार हैं, राजनाथ ने भावुक स्वर मे बताया था! ठीक कह रहे हैं आप समाज मे स्वार्थपरता इतनी बढ़  गई है की मानवीय  संबंधो की गरिमा लुप्त प्राय  होती जा रही है, कामना जी ने उन की हां मे हां मिलाई थी! हम तो यह प्रार्थना  करने आए है  की अगले सामूहिक विवाह आयोजन का उद्घाटन आप के ही करकमलों द्वारा संपन्न होना चाहिए!  
राजनाथ जी और उनके साथी गौरी बाबू ने प्रार्थना की थी!
"क्यू नही ये तो बड़े पुण्या का काम है, आपने पहले भी दो बार आमंत्रण दिया था पर मैं अपनी व्यस्ता के कारण नही सकी थी इस बार अवशय आओंगी, कोई और सहयता चाहिए हो तो संकोच मत कीजिएगा!" आपका सहयोग मिल रहा है तभी तो हम कुछ कर पा रहे है नही तो हमारी बिसात ही क्या? आशा है की भविष्य मे भी आपका सहयोग मिलता रहेगा! यह सामूहिक वैवाहिक सम्मेलन का निमंत्रण पत्र है! इस बार इसके उद्घाटन मे आपको अवशय ही आना पड़ेगा! राजनाथ ने निमंत्रण देते हुए पुनः आग्रह किया था! "मैं अपने समस्त कार्य छोड़ कर सेवा मे पहुच जाऊंगी आप तनिक भी चिंता ना करे," कामना राय ने आश्वासन दिया तो राजनाथ जी ने आभार प्रकट करते हुए विदा ली!
राजनाथ जी "वामा" नमक गैर सरकारी संगठन के सर्वेसर्वा थे, उनकी संस्था बालिकाओ और युवतियो के लिए अनेक कार्यकर्मो का आयोजन करने के साथ ही बेसहारा महिलाओ के पुनर्वास का भी प्रबंध करती थी! कामना राय समाज कल्याण विभाग मे सचिव थी और राजनाथ जी को अपनी संस्था के कार्य से वहाँ अक्सर जाना पड़ता था! कामना राय की सहयता से उनकी संस्था को कई बार बड़ी धनराशि आबंटित की गयी थी, अतः राजनाथ जी ने उन्हे अपनी संस्था के हर कार्यकर्म मे आमंत्रित करने का नियम बना लिया था, पर कामना अपनी अतिव्यस्ता के कारण किसी भी समारोह मे नही पहुच पाई थी! पर इस बार उन्होने द्रढ निश्चय कर लिया था कि वह "वामा" द्वारा आयोजित समारोह मे भाग लेने अवश्य जाएँगी!
अपने कार्यालय मे बैठ कर दिन रात फाइलो मे सिर खपाने से समाज का कल्याण नही होता! वो तो राजनाथ जी जैसे समाज सेवको के निरंतर किए जा रहे सेवा कार्यो से होता है, अतः उन्होने द्रढ निश्चय किया की वो आगामी सामूहिक विवाह कार्यकर्म मे भाग ले कर पुण्य अवश्य कमाएँगी!
नियत तिथि समय पर राजनाथ जी उन्हे स्वयं लेने पहुचे थे! शहर के बीचो-बीच स्थित बड़े से सरकारी उपवन मे बड़े-बड़े कई पंडाल लगाए गये थे तथा उन्हे बड़े सुरुचिपूर्ण ढंग से सजाया गया था! सभी जोड़े वैवाहिक वेश भूषा मे सजे हुए थे! राजनाथ जी ने ही उन्हे बताया था की युवतियो के लिए लाल ज़रीदार परिधान और युवको के लिए विशेष कुर्ते पायजामे और लाल ज़रीदार दुपट्टे का प्रबंध संस्था की ओर से किया गया था! हर जोड़े को विवाह के अवसर पर एक मंगल सूत्र भी भेट किया जाना था! अधिकतर युवतियो ने वधू के रूप मे अपने मूह पर घूँघट डाल रखा था! सभी विवाह प्रकिया के आरंभ होने की प्रतीक्षा कर रहे थे! कामना राय ने ऐसे सामूहिक आयोजन पहली बार देखा था! अतः वो प्रत्येक क्रियाकलाप को बड़ी बारीकी से देख रही थी
कुछ देर की पूजा अर्चना के बाद हर जोड़े को माइक के द्वारा हिदयते दी जा रही थी! समारोह प्रारंभ हुआ तो कामना राय अपने को रोक ना सकी, वो विवाह बंधन मे बँधते जोड़ो के पास जा कर सम्पूर्ण प्रकरण का आनंद उठाने उनके पास जा खड़ी हुई थी! तभी अचानक एक जोड़े पर उनकी नज़र ठहर सी गई थी!
युवती बिल्कुल चाँदनी जैसी लग रही है, मानो उसकी जुड़वा बहन हो, वो स्वम से ही वार्तालाप करने लगी थी, पर तभी युवती की दृष्टि उन पर पड़ी और उन्हे लगा की उसने उन्हे पहचान लिया है! "यह क्या चाँदनी? अपने पति को छोड़ आई या पति ने तुम्हे छोड़ दिया?" वो लपक कर चाँदनी के पास पहुची थी! 'दीदी' आप यहाँ? आप यहाँ क्या कर रही है? चाँदनी बदहवास सी पलटी थी! "ये क्या माजरा है तेरा पति शांतनु और तेरा बच्चा कहाँ है?" मेरी समझ मे तो कुछ नही रहा है? कामना का बदहवास स्वर सुन कर चाँदनी के साथ विवाह के फेरे ले रहा युवक तेज़ी से पलटा था पर कामना सेहरे से ढका उसका चेहरा देख नही पाई थी! कामना राय आयोजको से कुछ कह सुन पाती उससे पहले ही चाँदनी और उसका भावी पति विवाह को बीच मे ही छोड़ कर भाग खड़े हुए थे!
"क्या हुआ कामना जी?" चाँदनी को हाथों मे चप्पल थामे सरपट भागते देख राजनाथ जी हक्के-बक्के रह गये थे, वो लपक कर कामना जी के पास पहुँचे थे!
"क्या हुआ कामना जी?" उन्होने कामना राय से नीचे स्वर मे प्रशन किया था!
होना क्या है राजनाथ बाबू, यहाँ तो बड़ी गड़बड़ लगती है, जो लड़की यहाँ फेरे ले रही थी मैं उसे अच्छे से जानती हूँ! दो वर्ष पहले तक हमारे पड़ोसी के घर मे आया का काम करती थी! वो ना केवल विवाहित है बल्कि एक वर्ष के बच्चे की माँ भी है!
"क्या कह रही है आप? मुझे तो अपने कानो पर विश्वास ही नही हो रहा है, इस पुण्य के काम मे भी धोखाधड़ी?" इंसान  भरोसा करे तो किस पर? हो सकता है वो तलाक़ के बाद पुनर्विवाह कर रही हो! पर वो मुझे देख कर भागी क्यू? कामना जी हैरान थी!
अगली किस्त जल्द ही - 

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